Friday, September 20, 2019

हेलमेट



पुलिसवाला कहीं चालान न बना दे इस डर से इसमें तुरंत सिर घुसाने की और अगर वह न दिखे तो दुपहिया के हत्थे पर टांगने की कमंडलनुमा वस्तु।

इसके सर में पहनने से दुर्घटना में सर का बचाव होता है ऐसा सरकार व पुलिस विभाग का मानना है। इसलिये इसके पक्ष में वह टीवी से लेकर रास्तों के किनारे लगे होर्डिंग तक इसका प्रचार करती है। लेकिन इसके पहनने से मुंह में रखा गुटखा थूकने में परेशानी होती है ऐसा वाहन चालक का मानना होता है। इसलिये गुटखा खानेवाले वाहन चालक इसे वाहन के हैंडिल पर टांग कर चलते हैं, साथ ही दूर से पुलिसवाले के दर्शन होती ही सर पर चढ़ा लेने की सावधानी भी बरत लेते हैं।

वैसे तो इसकी खोज बहुत पुरातन समय अर्थात रामायण-महाभारत काल में ही हो थी ऐसा गई प्रतीत होता है, क्योंकि तत्कालीन टीवी सिरीयल सीरियसली देखते रहने से पता चलता है कि युद्ध के समय योद्धा इसे अपने सर पर पहन लेते थे, ताकि अस्त्र-शस्त्र के वार से सर को किसी तरह की चोट न पहुँचे. उस समय इसे शिरस्त्राण ऐसा अत्यंत सरल नामकरण किया गया था. परन्तु मानव की कठिनाइयों को से खेलने की आदत के कारण इसे बाद में उच्चारण में अत्यंत कठिन नाम हेलमेट नाम से पुकारा जाने लगा. कुछ लोग इस नाम के पीछे आंग्ल भाषा का प्रभाव भी मानते हैं, जो कि पूरी तरह से आधारहीन है.

समय-समय पर पुलिस-प्रशासन की ओर से हेलमेट पहनने की सख्ती की मुहीम चलती है। और हर मुहीम की तरह यह मुहीम भी माह दो माह का जीवनदान पाकर मृत हो जाती है। सख्ती के चलते कभी पेट्रोल पंप पर बिना हेलमेट पेट्रोल नहीं देने के आदेश निकलते हैं पर चतुर चालक पांच मिनट के लिये किसी और का हेलमेट उधार ले कर आदेश की आंखों में धूल झोंकने में सफल हो जाते हैं।

इतनी परेशानियाँ होने के बावजूद प्राचीन समय से हेलमेट के कई फायदे गिनाये गये हैं, जैसे- जिससे कर्ज या उधार लिया हो तो हेलमेट लगाकर उसके सामने से बेधड़क निकला जा सकता है। प्रेमिका के साथ बैठ हेलमेट पहन कर गाड़ी चला रहे हों, तो न उसके, न स्वयं के परिवार द्वारा पहचाने जाने का खतरा होता है। गंजे लोगों के लिये तो वरदान है क्योंकि इसे लगाने से गंजापन छुपा रहता है। घर लौटते हुए साथ में थैली न हो तो हेलमेट हैंडल में उल्टा लटकाकर थैली के समान सामान भरने के काम लाया जा सकता है। हेलमेट और कान के बीच मोबाइल फँसाकर गाड़ी चलाते हुए मोबाइल से बात की जा सकती है। बेसुरे गीत गाते समय किसी के रोष का कारण नहीं बनना पड़ता क्योंकि हेलमेट लगाकर गाने से आपकी आवाज किसी और को सुनाई नहीं पड़ सकती और यदि सुनाई भी पड़े तो वह आपको पहचान नहीं पाता। हेलमेट पहने किसी का अभिवादन कर दो तो वह दिन भर सोचता रहता है कि नमस्ते करने वाला भला मानुस आखिर कौन था।

हेलमेट लगाने, न लगाने से किसी का फायदा हो न हो, इससे हेलमेट बनाने वाली कंपनियों का जरूर फायदा होता है, क्योंकि हेलमेट लगाने की सख्ती होते ही इनकी बिक्री में अचानक वृद्धि हो जाती है। इन दिनों यातायात नियमों के पालन में सख्ती और जुर्मानों में कई गुणा वृद्धि से हेलमेट पुन: चर्चा में है.

- व्याख्यानंद !