लिखने
के लिये हर साल के प्रारंभ में खरीदी गई और चार-पांच दिन बाद आलस्यवश छोड़ देने
वाली नोटबुक।
इसके
प्रत्येक पन्ने पर अंग्रेजी व हिन्दी में वार, तारीख, महिना, तिथि आदि अंकित होता
है। कुछ डायरियों में प्रत्येक पृष्ठ पर एक सुविचार भी छपा हुआ होता है। लेकिन साल
के अंत तक डायरी लिखने के लिये उसमें से एक भी सुविचार काम नहीं आता।
वैसे
तो डायरी मुख्य रूप से उपहार में देने या पाने की वस्तु है. उपहार में देने के लिए
व्यावसायिक प्रातिष्ठान बजट अनुसार सुन्दर डायरियां खरीदते हैं. लेकिन उपहार में
मिली हो या खरीदी हुई हो, साल
के शुरू में डायरी लिखने का संकल्प डायरी पाने वाला ले ही लेता है . डायरी लिखना
वैसे तो सबका अधिकार है, लेकिन
लेखकों को इसमें विशेषाधिकार प्राप्त है।
सामान्य
व्यक्ति जब डायरी लिखने की सोचता है तब डायरी में जनवरी की पहली तारीख को सुबह की
चाय से शुरू कर रात में सोने के लिये जाने तक की हर बात नोट की जाती है। पूरे साल
नियमित रूप से डायरी लिखने की प्रतिज्ञा भी पहले दिन के पन्ने पर दिखाई देती है।
चार-पांच दिन बाद यही पन्ने फाड़कर बच्चों को हवाई जहाज, रॉकेट, नाव आदि बनाने के लिये
दे दिये जाते है और बची हुई डायरी दूध-किराने-धोबी का हिसाब लिखने के पुण्य काम
आती है या रद्दी में चली जाती है। कोई ज्यादा ही सुघड़ गृहिणी हुई तो वह इसे
पाककृतियाँ नोट करने में उपयोग करती हैं।
डायरी
को दैनिकी या दैनन्दिनी भी कहा जाता है। पुलिस थाने की डायरी को रोजनामचा कहते है, वहां उसे नियमित रूप से
लिखना पड़ता है। प्रेमियों और शायरों की डायरी में शेर-ओ-शायरी भरी पड़ी रहती है, कुछ स्वयम की रची हुई, तो कुछ इम्प्रेशन जमाने
के लिए उचित मौके पर सुनाने के लिए कहीं से नोट की हुई. डायरी में शायरी रोमांटिक
है या बिरह राग में लथपथ तडपन भरी, प्रेमी की तत्कालीन
अवस्था पर निर्भर करता है। औरों की लिखी व्यक्तिगत डायरी पढ़ने की इच्छा रखना, मानवजाती के साक्षरता
का प्रमुख लक्षण है।
यूँ
तो डायरी और डायरिया का आपस में कोई संबंध नहीं है लेकिन डॉक्टर का इन दोनों से
संबंध हो सकता है। डॉक्टर की डायरी व्यावसायिक श्रेणी में आती है, जिसमे अपाईन्मेंट्स नोट
किये जाते है। व्यावसायिक डायरी का उपयोग तो बहुतांश लेन-देन का लेखा जोखा रखने के
लिए होता है।
काला कारोबार करने वाले भी अपनी एक खास डायरी रखते हैं. जिसमे वे
अपने गुप्त लेन-देन के हिसाब और सहयोगियों के नाम कोडवर्ड में लिखा करते हैं। ऐसी
किसी डायरी के पकड़ा जाने पर उसमे से किसी का डी-कोडित नाम और लेन-देन सार्वजनिक
हो जाना परेशानी का सबब हो सकता है। ईश्वर
न करे ऐसे कोई कारोबार में फँसने या डायरी में कोडवर्ड में नाम आने की नौबत किसी पर
आये।
- व्याख्यानंद (विवेक
भावसार)
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