Friday, May 8, 2020

दस मिनट की समाधि


दस मिनट की समाधि

कल की ही बात है, रिमोट की सहायता से टीवी पर चैनल to चैनल कुदावनी गेम (सर्फिंग) खेलते हुए एक फिल्मी चैनल पर गाड़ी अटक गई। फ़िल्म शुरू हो चुकी है। फ़िल्म का आधा टाइटल निकल चुका है, आखरी के कुछ नाम जाने पहचाने लगे। गीत मजरूह सुल्तानपुरी, संगीत आर डी बर्मन, निर्देशक प्रकाश मेहरा। टाइटल समाप्त। स्क्रीन के कोने में बारीक अक्षरों में फ़िल्म का नाम उभरा- #समाधि। ये नाम पढ़ते ही एक गाना दिमाग में चुभ गया.. "कांटा लगा"। (लेकिन ये हिट गाना फिलीम की स्टार्टिंग की शुरुआत में ही आ जायेगा ये सोचा भी नहीं था। )

पेहला सीन-
फ़िल्म की हिरोइन गली भर में अपने घर होने वाले शाम के जलसे का अपने मुंह से बोलकर मौखिक न्योता देती फिर रही है, अवसर है माँ बनने की उम्र की हिरोइन को नवजात चचेरा भाई होने का। इस बीच हीरोइन अपने हीरोइन स्टेटस का ख्याल रखते हुए गली में छेड़ने वाले एक लड़के को खटिया से गिराए भी दे रही है।

अगला सीन-
रात का टेम, गांव की सारी पब्लिक बड़े चौक में गोला बना के बैठी है, हैसियत के हिसाब से मर्दों ने पगड़ी, टोपी धोती, पजामा आदि पेन के खटिया, कुर्सी सम्भाल रखी है, लेडीजों का वर्ग एक तरफ ग्राउंड की जमीन पर तशरीफ़ टिका कर बैठा है।

गैस बत्ती की तेज रोशनी की लाइट में अपने भाई के पैदा होने के अवसर पर हीरोइन का "रिकार्ड एक्शन"  पे ग्रुप डांस। (पूरा रियलिटी शो का माहौल, दिनभर डांस की 12-15 सहेलियों संग तैयारी के बाद डांस चल्लू ) गाना है... "कांटा लगा... हाय लगा... बंगले के पीछे, तेरी बेरी के नीचे.. हाय रे पिया" (पहली बार ये गाना स्क्रीन पर देखा, लेकिन इस सिचुएशन की कभी सपने में भी कल्पना नहीं की थी) 

गाना खत्म होते ही गांव में घुड़सवार डाकूओं के दल का प्रवेश (अच्छा हुआ, गाना पूरा होने दिया, वरना गाना अधूरा रह जाता और डांस शो भी अधूरा रह जाता, धन्यवाद आपका डाकू दल उचित समय पर आने के लिए)। आते ही ध्धांय... ध्धांय... ध्धांय ... दम्बूक से तीन गोली गैस बत्ती पर बर्बाद कर दी है (बर्बाद इसलिए कि, जो काम एक डंडे की सहायता से हो सकता था, उसके लिए तीन गोली खर्च कर दी, उनके बाप का क्या जाता) खैर.. डाकूओं द्वारा डाकू धर्म निभाते हुए बत्ती फोड़ कर बन्द कर दी जाती है। उसके बाद टॉर्च की रोशनी में गहनों की लूटपाट शुरू। (जब टॉर्च ही जलानी थी तो गैस बत्ती क्यो फोड़ी? समझ के बाहर की बात ) नायक डाकू है। लूटपाट करते हुए हीरोइन तक आता है, हिरोइन गहने उतार कर देने को होती है। नायक कहता है, "तुम गहने पहने रख।" इसके बाद बाकी के गहनों पर कब्जा कर डाकू दल और हीरोइन के गहनों को हीरोइन समेत कब्जा कर नायक घोड़े पर बिठा कर चल देता है।

बस यही तक समाधि लगा पाया और चैनल बदल डाला।

(मन में उठती लघु और दीर्घ शंकाओं को कोष्ठक में दर्शाने का प्रयास किया गया है। इसके बिना भी पोस्ट ग्रहण की जा सकती है।)

#ग्रेट फिल्म्स... ग्रेट लॉजिक्स...ग्रेट लोग्स!

-विवेक भावसार

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