कुछ मुहावरों-कहावतों का हम गहराई से अध्ययन करते हैं तो पाते हैं कि उस कहावत के पीछे अनेक अर्थ छुपे होते हैं।कहावतों के इन्ही छुपे हुए अर्थों को पोस्टमार्टम कर आपके सामने लाने की कोशिश की गई है। इसी क्रम में उपरोक्त कहावत - "भागते भूत की लंगोट भली !" का विश्लेषण किया जाए तो निम्न बिंदू सामने आते हैं-
◆ क्या भूत कपड़े पहनता है ?
◆ यदि कपड़े पहनता है तो क्या केवल लंगोट ही पहनता है ?
◆ यदि लंगोट भली, तो बाकी कपड़े क्या खराब है ?
◆ यदि बाकी कपड़े ख़राब और लंगोट भली तो क्या खराबी से बचाने के लिये लंगोट जेब में डालकर घूमता है ?
◆ भागते की भली तो क्या खड़े हुए भूत की लंगोट खराब है ?
◆ क्या लंगोट ब्रांडेड है ? है तो किस ब्रांड की ?
◆ भूत केवल भागते हैं या उड़ते भी हैं ?
◆ भागते हैं तो क्या आपस में रेस भी लगाते हैं ?
◆ लंगोट पहनने वाले भूत क्या पहलवान होते हैं ?
◆ भागने के अलावा क्या लंगोट पहन कर दंगल भी लडा करते हैं?
◆ क्या ये इतने गरीब होते हैं कि केवल लंगोट ही पहन पाते हैं ?
◆ रंगीन लंगोट पहनते हैं या सफेद या पारदर्शी ?
◆ क्या भूतों के लंगोटिया यार होते है ?
....आदि-आदि.
....आदि-आदि.
- (अद्)भूतानन्द!
विवेक भावसार
विवेक भावसार
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