Friday, June 7, 2019

सिलबट्टे पर पति (के दिमाग) की चटनी बनाने की रेसिपी!

रेसिपीज की कड़ी में एक और रेसिपी
यूं तो आपने तरह तरह की चटनियाँ बनाई और खाई होंगी, लेकिन आज जो चटनी हम बताने जा रहे हैं वो चटनी आपने इससे पहले न सुनी होगी, न देखी होगी... तब तो बनाने और खाने की बात तो दूर ही है. तो हो जाइए तैयार एक नई रेसिपी के लिए ....


एक सिलबट्टा, चार-आठ हरी मिर्च, लहसुन, धनिया, एक गिलास सादा (बिना फ्रिज, मटके का) पानी, जिसकी चटनी बनानी हो वह पति.( सीदा सादा, मुलायम पति हो तो चटनी जल्द बन जाती है... अन्यथा स्वयं की चटनी बनने की नौबत आ जाती है।) ध्यान रहे... यह चटनी केवल अपने ही पति के दिमाग की बनती है, किसी और के पति का इसमें रत्तीभर भी उपयोग नहीं होता।

शाम को पति के काम पर से लौट आने के पहले सिलबट्टा धोकर तैयार रखें. गर्मी का मारा थका हारा पति घर लौट आये तब उसे बैठा कर एक गिलास सादा पानी सामने रख दें।
पानी ठंडा न होने की शिकायत पर "मटका शाम को ही फूट गया" का कारण सामने रख दें। पति के विशेष ध्यान न देने पर पानी के गिलास खत्म होने के पहले ही मुन्ना राजा ने खिडकी का काँच तोड़ देने की शिकायत करें । पति का दिमाग अब इससे दरदरा हो जाएगा।
अब एक और शिकायत आगे करें कि पड़ोसी ने दिन में नाली का पानी अपने घर के सामने फैला दिया। पति का दिमाग इससे थोड़ा और बारीक हो जायेगा। इसे और अधिक महीन पीसने के लिये एक शिकायत का पुलिंदा और खोल दें कि गैस खत्म होने में है और दूसरा सिलेंडर भी खाली पड़ा है।
अब चटनी थोड़ी और महीन हो जायेगी, इसे और ज्यादा महीन करने के लिये सिलबट्टा सामने धर के पीसने के लिये हरी मिर्च, धनिया, लहसुन निकाल लें ।
अब सामने से सवाल आयेगा, सिलबट्टा क्यों निकाला? तब जवाब दें कि मिक्सी का ब्लेड गप्पू ने तोड़ डाला है। सिलबट्टा मिर्च वगैरह वैसे ही छोड़ दें । क्योंकि अब दिमाग की चटनी पूरी तरह तैयार हो गई है तथा बरतन में निकाले जाने के लिये तैयार है।
मुन्नू और गप्पू की पिटाई शुरू हो उससे पहले खाने की थाली परोस दें । भोजन के साथ-साथ बनी हुई चटनी धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी।
यह चटनी कभी-कभार बनाने और खिलाने के लिये ठीक है, रोजाना बनाने से हाजमे के लिये खतरा है।
तो बनाईये चटनी और बताईये कैसी बनी?
-चटन्यानंद!
(विवेक भावसार)

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