Thursday, October 10, 2019

कंधा


जिम्मेदारी उठाने के लिये काम आने वाला मानव का शरीर का एक अंग। (कभी-कभी यह काम सिर पर भी डाल दिया जाता है।)

देखें तो चौबीसों घंटे इसकी प्रमुख जिम्मेदारी ये होती है कि दोनों हाथों को अपने से लटका कर रखें, इसके अलावा भी कई जिम्मेदारियाँ कंधों के कन्धों पर रहती है।

वैसे तो हर एक के कंधे का साईज लगभग एक जैसा ही होता है लेकिन जिम्मेदारी से पता चलता है कि किसका कंधा कितना बड़ा है। कोई कंधा देश की जिम्मेदारी उठाता है तो कोई किसी विभाग या दफ्तर की । कुल मिला कर जहाँ जिम्मेदारी है वहाँ उसका आसन कंधा है। सत्ता के लिये कुर्सी आवश्यक है वही जिम्मेदारी के लिये कंधे जरूरी है। ये बात अलग है कि आगे चलकर आपकी गरदन जकड़ ले ऐसी संभावना वाली जिम्मेदारी धकेलने के लिये हर कोई उचित कंधे की खोज में लगा होता है।

किसी अफसर के चपरासी के कंधों पर जिम्मेदारी होती है कि किसी को भी सीधे- सीधे अफसर से मिलने के लिये रोका जाये, अफसर के कंधों पर जिम्मेदारी होती है कि किसी के आवश्यक कार्य जो केवल उसकी अनुमती से ही संभव होते हैं, उन्हें कैसे रोका जाय। इन्हें उचित फीसचुकाकर इनकी जिम्मेदारी का बोझ कुछ कम किया जा सकता है।

यूँ तो जब आप घर से बाहर निकलते हैं तब यह कंधा कुरता, कमीज, कोट आदि भी टांगने के काम आता है, जिसमें ये जिम्मेदारी दोनों कंधे मिलकर उठाते हैं। लेकिन कोई झोला-छाता टांगना हो तो ये काम अकेला एक कंधा कर लेता है।

पुरातन समय में अपने ऊपर गदा धारण करने वाली शैली को आज के कंधे ने क्रिकेट का बल्ला धारण करने में परिवर्तित कर लिया है. हनुमानजी, भीम आदि वीरों के चित्रों में कंधे पर धारण की गई गदा की तरह बल्ले को कंधे पर धारण किये हुए क्रिकेटरों वीरों के चित्र नजर आने लगे हैं ! 

कंधे का एक काम और है, दूसरों के कंधे से मिलकर चलना। अक्सर किसी बड़े काम को कई लोगों के सहयोग से निभाना होता है तब किसी कंधे को दूसरे के कंधे से कंधा मिला कर चलना जरूरी हो जाता है। तब उनमें से कई चतुर कंधे ऐसे भी होते है जो अपना बोझ बड़ी खूबी से दूसरों के कंधों पर सरका कर बोझ उठाने का अभिनय कर रहे होते हैं। 

लेकिन देखा जाये तो वास्तविक रूप से कंधे से कंधा मिलाकर चलने की नौबत कुंभ मेले जैसी भीड़ में आती है. ट्राफिक जाम में फंसे बाईक सवार भी बगल वाले बाईक सवार के कदम से कदम और कंधे से कंधा मिलाते हुए चलते हैं  

पिछले कुछ दिनों से चर्चित इस फोटो ने कंधे का एक और उपयोग दुनिया को बता दिया है. विवाह के समय दिए गए सात वचनों में ससुरजी को अपनी भार्या का सम्पूर्ण भार उठाने के दिए हुए वचन का पालन करते हुए इस बलशाली बन्दे ने पतियों के प्रति पत्नियों की अपेक्षा बढा देने से दुनिया भर के पतियों की नींद उड़ा कर रख दी है. 

किसी के दुःख में उस का सर अपने पर रख कर उसका दर्द हलका करने वाले कंधा किसी को उसके जीवन के अंतिम पड़ाव तक पहुंचाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी में भी शामिल होता है।
- व्याख्यानंद !
(विवेक भावसार)

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