Thursday, October 31, 2019

भगवान ! तुम क्यों सो जाते हो ?

भगवान ! तुम क्यों सो जाते हो ?


हे भगवान, इस चतुर मनुष्य ने चातुर्मास के नाम पर पता नहीं कौनसी घुट्टी पिलाकर तुम्हे सोने पर मजबूर कर दिया है। वाकई में तुम सो जाते हो या सोने का नाटक कर इन सुलाने वालों के नाटक देखा करते हो ? किसी शिक्षक के कक्षा से जाने के बाद छात्र जिस तरह धमा-चौकड़ी मचाने लगते हैं ठीक उसी तरह जब तुम चार माह के लिये सोने के लिए चले जाते हो, ये उद्दंड मनुष्य तरह-तरह के उपद्व्यापों में मशगुल हो जाते हैं ।
नाग पंचमी को पुंगी बजा-बजा कर नाग देवता की पूजा कराने के साथ ढोल-ढमाकों की ढमा-ढम के बीच कुश्तियाँ लड़वाई जाती हैं। यह तो शोर-उत्सवों की छोटीसी शुरुआत मात्र होती है ।
दस दिन गणेशजी की स्थापना के नाम पर हर चौक-चौराहे पर तुम्हारी प्रतिमा स्थापित करने के बाद तुम्हे सोया जानकर रातदिन भोंगे, डीजे बजाकर ये लोग जो शोर मचाते है, अच्छे -अच्छों की नींद हराम हो जाती है ।
तुम्हारा क्या, तुम तो चार महिनों के लिये चादर तानकर सो जाते हो ।
इधर गणेश-उत्सव खत्म हुए नहीं कि पखवाड़े बाद ही नवरात्रों की धूम शुरू हो जाती है । शोर मचाने में, जो कसर गणेशोत्सव में अधूरी रह जाती है वह नवरात्र में पूरी कर ली जाती है।
तुम्हारा क्या, तुम तो अब और गहरी नींद में चले जाते हो ।
नवरात्र खत्म होते ही दशहरा आ जाता है । पूरे शहर में पहले कभी एक जगह जलने वाला रावण अब घर-घर जलने लग गया है । सिर्फ जलता नहीं, अपने साथ ढेरों बमों के धमाकों के साथ जलता है । उसके बाद आने वाली शरद पूर्णिमा भी गरबे खेलने की अधूरी रही इच्छा की पूर्ति का अवसर बन गया है ।
तुम्हारा क्या, तुम तो चार महिनों के लिये कानों में रूई डालकर सो जाते हो।
दिवाली के आते आते बम पटाखों का शोर शुरू हो जाता है। चौक-चौराहों का शोर अब तक हर घर में जगह बना चुका होता है । हर युवक-बच्चा इस बम पटाखों की आवाजों की वृद्धि में अपना योगदान देने के लिए तत्पर होता है ।
तुम्हारा क्या, तुम तो चार महिने के लिये बेधड़क सो जाते हो।
आते आते तुम्हारी नींद का आखरी दिन आ जाता है - देवउठनी एकादशी। उस दिन भी दिवाली के बचे हुए पटाखे चला कर लोग अपनी शोर मचाने की बची-खुची हसरतें पूरी कर लेते हैं । 
लेकिन तुम्हारे जागते ही हर नवयुवक शांत हो जाता है और एक अच्छे सयाने बच्चे की तरह अपनी गर्दन झुकाये शादी की माला पहनने के लिये आतुर हो उठता है।
तुम तो जगे ही रहा करो प्रभु, वरना ये लोग तुम्हे सोया जानकर शोर का ऐसा तांडव रचते हैं, कि हमारी नींद उड़ा देते है। तुम्हारी नींद में खलल कैसे नहीं पड़ता, आश्चर्य है। खैर, अब तुम जाग गए हो, नया तमाशा देखने के लिए के लिए ।
-विवेक

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