Saturday, October 26, 2019

अनुवाद - कुछ नए ग्रहयोग -3 (पु.ल. देशपांडे )

कुछ नए ग्रहयोग  (लेकिन बहुत से अनिष्ट) भाग-3


समस्त-स्त्रीवृन्द-परपुरुष-विवाहित-वैषम्य-योग

इस योग का नाम कुछ बड़ा है. लेकिन अपने नाम की तरह  ही यह योग बलशाली है. सुविधा के लिए यहाँ हम इसे वैषम्ययोग कहेंगे. इस कुंडली के सारे ग्रह नीच स्थान में होते हैं. दुनिया की प्रत्येक सुन्दर स्त्री परपुरुष के साथ विवाहित हो गई है, ऐसा इस योग पर पैदा हुए पुरुष मानते हैं. 

स्वयं को लेकर जबरदस्त गलतफहमी इनके जीवन का आधार होती है. इनकी किसी भी बात की शुरुआत “यदि मैं होता तो...” से होती है. इस तरह के व्यक्तियों को कोई कहे कि “क्या सुंदर चांदनी रात है.” तो चाँद से भी वैषम्य व्यक्त कर दें. 

इस योग पर जन्मे एक व्यक्ति की कुंडली का हमने बारीकी से अध्ययन किया. इनकी कुंडली में पराक्रम का कोई ग्रह नहीं था. हरदम तुलना करना इनके स्थाईभाव में शामिल था. इसी के ऑफिस की एक टाइपिस्ट लड़की ने साथ वाले क्लार्क से शादी रचाने पर उसकी शादी के मंडप में जाकर किसी से यह कहने से नहीं चूके “पता नहीं इस आदमी में इस लड़की ने क्या देख लिया? भगवान जाने !” 

वैषम्ययोग ग्रसित लोग नाटकों में अपना अभिनय पिटा जाने पर एक्टिंग के स्कूल खोल लेते हैं और अभिनय क्या है यह सिखाते रहते हैं.  उपन्यासकार नहीं बन पाते तो टीकाकार बन जाते हैं और वहाँ भी पिटा जाते हैं. प्यार में पिटा जाने पर स्त्रीजाति को नमकहराम कहते हैं. क्लर्की करते हुए जीवन भर प्रमोशन न होने पर “मक्खनबाजी” को गाली देते फिरते हैं. इनके लिए यह पहेली होती है कि हर पडोसी को अच्छी पत्नियां क्यों मिलती हैं. हमेशा महसूस करते होते हैं कि औरों के सूट अपने से बढ़िया सिले हैं.

जिन्दगी में हम हमेशा थर्डक्लास रहे यह मन ही मन समझ चुके होते हैं. समय से पहले खुद के बाल चले गए इस बात का दुःख मनाते रहते हैं. इन सारी कमियों का बदला ये दूसरों को परेशान कर लेते रहते हैं. खुद को जुकाम हो जाये तो  डॉक्टर पर उखड़ जाते हैं. इन लोगो का कोई इलाज नही. क्योंकि यह योग ही ऐसा है. लोकप्रिय चीजें इन्हें अच्छी नहीं लगतीं. इन्हें आम पसंद नहीं होता. 

ऐसे लोग चुटकुला सुना दें तो कोट की आस्तीन में से कॉकरोच निकल जाने जैसा महसूस होता है. क्योंकि इसमें ऑफिस के किसी “लोकप्रिय मजाकिया क्लर्क से हम ज्यादा मजाकिया हैं” यह बताने की कोशिश होती है और यह भी कि ‘’सोच लूं तो पचास जोक्स और सुना दूं.” रमी में इनका लक नहीं होता इसलिए ये उखड़े उखड़े से खेलते हैं और हार जाते हैं. 

वैषम्ययोग की कुंडली इन लोगों को चैन से बैठने नहीं देती. हर जगह टांग अड़ाने की इनकी कोशिश जारी रहती है लेकिन उस जगह भी हमेशा इनसे भी योग्य उम्मीदवार मौजूद होता है. ये इसी भ्रम में होते हैं कि सारी दुनिया इनके खिलाफ साजिश कर रही है. इन लोगों द्वारा किया गया प्रत्येक बिजनेस फ्लॉप हो जाता है. अप्रिय होने में इनकी करामत गजब की होती है. बस में ये पहले कंडक्टर से भिड़ जाते हैं, फिर पडोसी पैसेंजर से और बाद में बस कंपनी को गालियाँ देने लगते हैं.

गानों की महफिल में इन्हें सबसे आगे बैठना होता है, लेकिन वहाँ पहले ही अन्य लोग बैठे होते हैं तो व्यवस्थापकों से भिड़ जाते हैं. कभी भूलेभटके आगे की जगह मिल भी जाए तो गाने वाले उस्ताद जी ने पहचाना नहीं इस बात से चिढ़ जाते हैं. गाने वाली अगर महिला हो तो सारी रात वह इन्हें ही देखते हुए गाती रहे, ऐसी इनकी अपेक्षा होती है.

ऐसे योग का व्यक्ति पड़ोस में आ बैठे तो समझदार को चाहिए कि वह अपनी जगह बदल ले, दूर के स्टॉप तक का सफर हो तो अगले स्टॉप पर उतर बस बदल ले, विवाह समारोह में मिले तो मात्र इत्रगुलाब लेकर भोजन-खाना छोड़कर निकल जाये. इस कुंडली का मामला किसी से भी नहीं जमता. क्योंकि जहाँ किसी अंधे भिखारी के कटोरे में कोई एक रूपया भी डाल दे तो ये उससे द्वेष कर लें तो हाथ-पैरों से स्वस्थ आप जैसों से तो कहना ही क्या.

पादत्राणांगुष्ठायोग

वैषम्ययोग कुंडली के ठीक उलट ये कुण्डलियाँ होती है. वैषम्ययोग की कुंडलियों के ग्रह एक दुसरे के विरुद्ध कुढ़ते रहते हैं तो यहाँ एकदूसरे को बेवजह टांग मारकर मजे लेते रहते हैं. इस योग को पादत्राणांगुष्ठायोग कहने की वजह केवल यह है कि इस योग पर जन्मे व्यक्तियों की चप्पल का अंगूठा ऐन वक्त पर टूट जाता है. खासकर जब कहीं जाने की जल्दी हो और चप्पल नई हो इसके बावजूद अंगूठा टूट जाता है.

सिल्क की नईनवेली कमीज पर चाय ढुल जाती है, खुद सुपारी भी न खाते हों लेकिन शरीर पर पान के छींटे उड़ जाते हैं. ऐन वक्त पर पेन की स्याही ख़त्म होना यह इसी पादत्राणांगुष्ठायोग का फलित है. ठीक ऑफिस जाते समय इनकी गाड़ी का पहिया पंक्चर हो जाता है  और उसी दिन पर्स घर में छूटा हुआ होता है.  इनकी खरीदी हुई नई किताब में से पन्ने गायब रहते हैं, गाने की महफ़िल में जाने पर गायक का गला बैठा हुआ होता है. 

आप फिल्म देखने थियेटर में बैठे हों और ऐन मौके की जगह पर फिल्म की रील टूट जाये तो समझ लीजिये दर्शकों के बीच पादत्राणांगुष्ठायोगवाली जनता बैठी हुई है. इस योग से इन्हें छुटकारा नहीं. ये लोग बिरयानी–कोरमे की लालच में मुसलमान हो जाएँ तो अगले दिन से रोजे चालू हो जाएँगे. ऐसे लोगों ने बाजार जाना छोड़ देना चाहिए, क्योंकि इनके लाये हुए बैंगन तो छोडो कद्दू में भी कीड़े निकलेंगे. 

इनकी जेब में रखी माचिस जलती नहीं, बीडी पर बंधा धागा खुल जाता है, मन्दिर से अनेक छातों में से इनका छाता एवं चप्पलों में से एक चप्पल चोरी चली जाती है और टूटे अंगूठे वाली चप्पल मुंह फैलाए पड़ी होती है. चप्पल की बजाय  सैंडल खरीदी हुई हो तो उसका बक्कल टूट जाता है. इस योग पर जन्में व्यक्तियों के कपड़े धोबी बजाय धोने के दाग लगाकर या जलाकर लाते हैं. धोबी बदल दिए जाएँ तब भी वह परम्परा नहीं टूटती.

ऐसे लोगों ने सफ़र भी टाल देना चाहिए. सामान लापता होना ही है. ऐसे योग पर जन्मे लोगों को गलत जगह पर अपना सही मत व्यक्त करने की खुजली चलती है. “वो काली कलूटी औरत देख रहे हो ?” यह उस महिला के पति से ही कह देते हैं. किसी भी पार्टी में किसी कि बेवकूफी का वर्णन करते हुए उस महिला या व्यक्ति का रिश्तेदार सामने ही बैठा हुआ है यह भूल जाते हैं और आफत बुला लेते हैं.

ऐसे लोगों को शादियों में मध्यस्थ के तौर पर बिलकुल भी नहीं रखना चाहिए. ये लड़के के बाप को ही पंडितजी समझ लेंगे और माँ को “और कितनी बार आइसक्रीम खाओगी?” ये पूछ कर जायेंगे. इन लोगों की नीयत खराब नहीं होती लेकिन हर बार गलत जगह पर बोल जाते हैं. मकान मालिक को किराया वसूली का मुनीम समझ उसे “मकान मालिक कैसा लुच्चा आदमी है” यह बताएँगे.
ऐन वक्त पर गड़बड़ी होना, इस योग का यही मुख्य फलित है. इस योग के लोगों का दोष इन्ही लोगों को बाधक होता है, अन्य लोगों को इससे परेशानी नहीं होती. चार लोगों की सभा के बीच जोरदार छींक आकर पाजामे का नाड़ा टूटने के बाद जो कुछ होता है, वही सब इनके मामले में जिंदगीभर चल रहा होता है. योग ही वैसा है, इससे छुटकारा नहीं.


द्वारघंटिकायोग

वास्तव में देखा जाये तो पादत्राणांगुष्ठायोग और द्वारघंटिकायोग इनमें उपरी तौर पर ख़ास फर्क नहीं. दरवाजे की घंटी बजे और पोस्टमैन मनीआर्डर लेकर आया होगा इस अपेक्षा से फटाफट दरवाजा खोलने पर...आया तो पोस्टमैन ही होता है लेकिन व्ही.पी. लेकर आया हुआ होता है. होठों तक आया प्याला पीने को न मिले इस तरह का यह विचित्र योग है. इस योग के व्यक्ति इंटरव्यू में सिलेक्ट हो जाते हैं लेकिन मेडिकल चेकअप में लटक जाते हैं.

इन सारे योगों के अतिरिक्त एकासन-योग, विरुद्ध वातायन-योग, गप्पभंगिका–योग आदि भी छोटे-बड़े योग होते हैं. एकासन-योग में ट्रेन अथवा बस के सफ़र में आपने पास की सीट खाली होते हुए भी सुन्दर पैसेंजर आपके पड़ोस में न बैठ कर किसी और के पड़ोस में जाकर बैठता है और अपने पड़ोस में डेढ़ सीट की जगह घेरने वाला सेठिया आ कर बैठ जाता है. विरुद्ध वातायन-योग में धूप या बारिश से बचने के लिए बस या ट्रेन में एक खिड़की को छोड़ दूसरी खिड़की के पास आप बैठते हैं, ठीक वहीँ धूप आती है. गप्पभंगिका-योग में आपकी गप्प की पोल कहना ख़त्म होने से पहले ही खुल जाती है. ख़ास कर यह रहस्य खोलने में घर के छोटे बच्चे अधिक सहायक होते हैं. आप चाय पीने की शुरुआत करने ही वाले होते हैं और तभी कोई मेहमान आ जाते हैं. “साहब बाथरूम गए हैं” यह बताने का कहकर आप अन्दर के कमरे में जा कर चाय पी कर आने वाले होते हैं. ऐसे समय चिरंजीव आगे बढ़कर मेहमान को बताते हैं, “पापा बात्लुम नई गए, वो तो अंदल चाय पी लए है”. इस पर उपाय एक ही है, बच्चों को बाथरूम में बंद कर गप्प मारें, लेकिन आखिर जो किस्मत में होगा वो होने से कोई रोक नहीं सकता.

समझदार लोग हमेशा ज्योतिष की सलाह से चलते हैं. परन्तु कुंडली में अच्छा ज्योतिषी मिलने का योग होना आवश्यक है.
(पु.ल.देशपांडे लिखित मराठी लेख "काही नवीन ग्रहयोग" का हिंदी रूपांतरण भाग-3...विवेक भावसार) 
भाग 1 > https://funkahi.blogspot.com/2019/10/1.html
भाग 2 > https://funkahi.blogspot.com/2019/10/2.html

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