Tuesday, May 7, 2019

आधुनिक राजयोग एवं संबंधित आसन


पौराणिक काल में राजाओं को राजगद्दी का उपभोग अपने पिता के राजा होने के बल पर  मिल जाता था  राजा के पुत्र को राजयोग अपने जन्म से ही अधिकारपूर्वक प्राप्त होता था।  राजा का ज्येष्ठ पुत्र अपने आप ही राज्य का उत्तराधिकारी हो जाता था। परन्तु आधुनिक काल में राजनेताओं को राजयोग एवं राजगद्दी पाने के लिये बड़ी जद्दोजहद करना पड़ती है, कॉम्पीटीशन बढ़ गया है । पहले किसी राजनीतिक पार्टी में कार्यकर्ता बनकर, जन्म दिन की बधाईयों के बैनरों में अपने फोटो वरिष्ठ नेताओं के साथ लगवाकर, भंडारे करवाकर, सभाओं में भीड जुटवाकर, उनसे नजदीकियां बढ़ानी पड़ती है, ताकि चुनाव में पार्टी से टिकट का लाभ हो जाये। पार्षद के टिकट से शुरुआत कर विधानसभा और फिर लोकसभा के लिये टिकट की जुगाड़ किस तरह जमानी पड़ती है, ये सारी कहानी किसी से छुपी नहीं है।इतनी सारी मेहनत के बाद आप भाग्य से किसी मंत्री पद पर भी पहुँच जाते है, तब इस पद पर अपने आपको टिकाये रखना एक बड़ा भगीरथी कार्य होता है । इसी व्यथा को जानकर वर्तमान युग के परम ज्ञानी बाबा आरामपाल बापू ने स्थिर राजयोग के लिए कुछ खास आसनों का सूत्रपात किया है, जिसके परिणाम स्वरुप मंत्री या नेता अपने पद पर बने रहने के साथ-साथ प्रचार माध्यमों यथा-अखबार, टीवी चैनल, सोशल साईट्स पर चर्चा में बना रहता है। इस अति गुप्त एवं अत्यंत अल्प प्रतियों में मुद्रित पुस्तक ‘‘आधुनिक राजयोग’’ के कुछ पन्ने हमारे स्टिंग आपरेशन में हाथ लगे है। इनमें से कुछ आसनों का वर्णन इस प्रकार से हैं –



पार्टी के प्रथम स्तर के कार्यकताओं के लिये यह एकमात्र आसन है। बाद में भी इस आसन आवश्यकतानुसार उपयोग कर सकते हैं.
विधि : पार्टी के नगर स्तर के नेता के पिछलग्गू बन जाये । हर उत्सव, जुलूस, भंडारे, गरबे के आयोजनों में भिया के आमने-सामने बने रहे, चाहे गालियॉं, दुतकार खानी पड़े, उनकी हाँ में हाँ मिलाते रहें। नेताजी के हर काम में दिन रात न देखते हुए तन और मन से (धन से नहीं) सहयोग दे।
लाभ : भोजन भंडारे के अलावा थोड़ा बहुत धन लाभ भी संभव है। भिया के खास होने की समाज में साख बनती है। इस आसन को 'पुच्छदोलकश्वानासन के नाम से भी पहचाना जाता है।

धरना-आसन 
इस आसन को करने के लिए अनेक लोगों की 
आवश्यकता होती है। यह अकेले किया जाने वाला आसन नहीं है। अच्छा खासा नाम कमा लेने के बाद किया जाने वाला आसन है। 

विधि : एक बड़े सार्वजनिक मैदान में एक तंबू ठोकिये और तखत लगाईये। अपने चुनिंदा साथियों के साथ तखत पर आसन जमा कर बैठ जाईये। सामने लोगों की भीड लगवाईये। फोकटिये टीवी चैनलवाले तो ऐसी बाईट की फिराक में ही रहते हैं सो वे भी आ जमेंगे। माईक पर बीच बीच में सत्ता पक्ष को कोसते हुए नारे लगाते रहिये। मनोरंजन हेतु गाने-भजन गाने का भी चलन इस आसन में इन दिनों चल गया है । ये आसन एक दिन से लेकर आठ-दस दिन तक किया जा सकता है।
लाभ: इस आसन के करने से चुनाव पश्चात् मुख्य मंत्री पद की प्राप्ति हो सकती है। मुख्य मंत्री पद पर रहते हुए भी यह आसन किया जा सकता है, ताकि इसे करने का अभ्यास बना रहे।

मंडूकासन

इस आसन को करने के लिये अपने नेतृत्व में एक छोटा सा दल होना चाहिये जो स्वयं के दम पर कभी भी सत्ता प्राप्त नहीं कर सकता तथा किसी सत्ताधारी दल के साथ गठबंधन में हो।
विधि: मंडूक अर्थात् मेंढक की तरह मौका पाकर जारी गठबंधन के दुबारा सत्ता में न आ पाने की आशंका को देखते हुए किसी नये गठबंधन के पाले में संपूर्ण दल सहित कूद जाईये। इस आसन को करने का उचित समय चुनाव पूर्व है, परंतु चुनाव परिणामों पश्चात् सत्ताप्रप्ति के लिये लालायित लांछन के साथ भी  इसे किया जा सकता है।
लाभ: हमेशा सत्ता में बने रहने का लाभ मिलता है। देखा गया है कि बिहार प्रांत का एक दल इस आसन को करते-करते पिछली कईं सरकारों में लगातार सत्ता का लाभ पा रहा है।

गिरगिटासन
यह अकेले किया जाने वाला और सदाबहार 
आसन है। इस आसन के मुख्य रुप से दो भाग हैं।

विधि: पहले भाग के अनुसार आप सत्ता में हो या  विपक्ष में, एक सार्वजनिक विवादास्पद बयान दीजिए। कुछ घंटो का इंतजार कीजिए। साँसे रोके रखने की आवश्यकता नहीं । अपने दैनंदिन कार्य करते रहें। मीडिया में बयान पर बवाल उठने के बाद इसका दुसरा भाग शुरु करें। अब कुछ मीडियावालों को एकत्रित करें और ‘‘अपने पिछले बयान का विपरित अर्थ निकाला गया है और कहने का आशय वैसा नहीं था’’  ऐसा एक नया बयान जारी करें। सारा विवाद समय के साथ विस्मृति में चला जायेगा।
लाभ: कुछ समय चर्चा में बने रहने के लिये यह अत्यंत उपयुक्त आसन है। इसे समय-समय पर दोहराते रहने से आप भली प्रकार से अभ्यस्त हो जाएंगे और हमेशा चर्चा में रहेंगे। आजकल यह आसन बड़ा लोकप्रिय है मंत्री, सांसद, मुख्य मंत्री भी इसका भरपूर अभ्यास कर रहे हैं।

अचलमहिषासन 
गिरगिटासन के ठीक विरुद्ध यह आसन है। 
इस आसन को करने की मुख्य शर्त यह है कि आप सरकार में कैबिनेट स्तर के मंत्री हों और सरकार का पूर्ण समर्थन आपके पास हो।

विधि : अपने विभाग को लेकर कोई नीति या बिल सदन के पटल पर रखें। बिल चाहे लाख अच्छा हो, विपक्ष अपनी विशेष जवाबदारी और आदत के तहत इसका विरोध अवश्य करेगा। जिस प्रकार रास्ते में खड़ी भैंस अपनी जगह से टस से मस नहीं होती, उसी प्रकार विपक्ष के विरोध से टस से मस न होकर बिल को पास करवाये, चाहे अध्यादेश का सहारा ही क्यो न लेना पड़े।

आसनस्थ निद्रासन 
यह सदन में बैठकर किया जाने वाला आसन है 
एवं अकेले भी किया जा सकता है या समूह में भी। लंबी बहस चल रही हो तो ऐसा मौका इस आसन के लिये अत्यंत उपयुक्त समय है। 

विधि : बहसकर्ता के ठीक पीछेवाली कुर्सी पर बैठ जाएं। आँखे मूँदकर बहस ध्यानपूर्वक सुन रहे हो ऐसा स्वांग भरें। कुछ ही देर में आप निद्रासन में आ जाएंगे। नींद के झोंकों के कारण आगे-पीछे हिचकोले लेती आपकी गरदन, आपका बहस के मुद्दों के समर्थन का आभास कराते रहेंगे।
लाभ: बहसकर्ता के ठीक पीछे होने से टीवी चैनल पर लगातार दिखते रहेंगे । यदि नींद में होने पर पकड़ा भी जाएंगे तो नींदवाले शॉटस् चैनल और सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बनेंगे, लोकप्रियता में वृद्धि होगी। अच्छी नींद लेने से सेहत में भी सुधार होगा।

विपरितपक्षताड़ासन  
यह आसन सत्ता पक्ष अथवा विपक्ष दोनों के 
करने योग्य है, बल्कि यों कहें कि दोनों पक्षों की उपस्थिति इस आसन के लिये अनिवार्य है। ताड़ के वृक्ष के समान तन के खड़े रहने वाले एक पुरातन आसन से इसका कोई लेना-देना नहीं है, अपितु करतल-कपोल संगम ध्वनि अर्थात तमाचे की ताड्-ताड् आवाज से इसका निकट संबंध है। 

विधि : किसी भी सार्थक या निरर्थक एक मुद्दे को विरोध हेतु चुन ले। धीरे-धीरे विरोध की तीव्रता बढ़ाते जाएं। इसके बावजूद विरोधी पक्ष पर इसका असर न पड़े तो सदन के बीचों बीच आकर नारेबाजी उपयोगी साबित होगी। विपक्षी सदस्यों के उत्तेजित होने तक यह क्रिया चलने दें। कुछ ही समय पश्चात् धक्कामुक्की और हाथापाई की स्थिति बन जाती है। तमाचों की ताड्-ताड् ध्वनि गूंजने तक आसन को जारी रखें। आसन को और लंबा खींचने पर टेबल-कुर्सियाँ, माईक आदि के टूटने से बड़ी मात्रा में ताड्-ताड् ध्वनि का उत्सर्जन होता है। 
लाभ : आसन में प्रमुख पात्र हो और सिर फुटव्वल में रक्त बहे तो अस्पताल में जाने का योग बनता है, अतिरिक्त खून के बह जाने से रक्त दाब में कमी आती है। अस्पताल में हालचाल पूछने के लिये आने वाले वरिष्ठ नेताओं से घनिष्ठता में वृद्धि होती है ।

कामरोको आसन  
विपरितपक्षताडासन के समान किंतु उससे 
प्रकृति में सौम्य यह आसन है। 

विधि: जिस भी किसी दिन काम करने का मूड न बने, उचित-अनुचित कारण खोज कर सदन का बहिर्गमन करने से यह आसन पूर्ण होता है । इसे करने के लिये संपूर्ण दल की आवश्यकता होती है।
लाभ : सजग एवं जनहितैषी विपक्ष होने का प्रमाण-पत्र मिलता है।

अभूतपूर्वएकतासन

यह आसन करने का मौका कई वर्षों के अंतराल 
में आता है। इस आसन को करते समय पक्ष-विपक्ष में अभूतपूर्व एकता परिचय मिलता है।

विधि : सदस्यों का वेतन और भत्ते तथा सुविधाएं बढ़ाने का प्रस्ताव रखें। सारे सदस्य प्रस्ताव का अनुमोदन करते हुए करतल एवं हर्ष ध्वनि करें।
लाभ : आर्थिक लाभ के साथ-साथ पक्ष-विपक्ष में अभूतपूर्व सहयोग की भावना का विकास होता है।

इन उपरोक्त आसनों के अतिरिक्त अंतरात्मा की 
आवाज, खंडनासन, मिथ्याआरोपासन, जाँच आयोग गठनासन, पृष्ठभाग-लत्ताप्रहारासन, आलिंगनासन, आँखमिचकासन आदि अनेक आसनों का भी अनुक्रमणिका के पृष्ठ पर दिये अनुसार इस पुस्तक में समावेश किया गया है। लेकिन हमारे स्टिंगमास्टर के हाथ वह पन्ने नहीं लगे, सो इतने ही आसनों पर आपको संतोष करना होगा।

धन्यवाद!

- राजयोगानन्द 
(विवेक भावसार).

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