Tuesday, May 28, 2019

अंतरात्मा की आवाज

इन दिनों जोर-शोर से चल रहे अंतरात्मा की आवाज सुनने के दौर में मुझे भी अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने की बड़ी जोर की लगी। अब ये आवाज स्टीरीयोफोनिक आती है कि डॉल्बी साउंड में या किसी और सिस्टम से, अपन को ठेंगा कुछ नी मालूम। फिर एक ग्यानी से चर्चा करके पता चला कि वो आवाज कैसे सुनते है. 


घर पहुँचते ही उस विधि के अनुसार एक शांत कमरे में बत्ती बंद कर, दरवाजा लगाकर आँखे मीच कर बैठ गया और लगा इंतजार करने की... अब आई अंतरात्मा की आवाज कि तब आई आवाज।

दस मिनट हो गये, कोई सुरसुरी भी सुनाई नहीं दी। इतने में चर्रर्रर्र की आवाज आई, दरवाजा खुलने जैसी। मैंने सोचा-वाह, अंतरात्मा मन का दरवाजा खोल रही है। तभी हलका सा स्वर गूँजा " कहाँ हो ?"

मैं विधी में बताये अनुसार बिलकुल चुप रहा, लेकिन सोचा - आवाज कुछ सुनी-सुनी सी लग रही है, शायद बोलने के लिये अंतरात्मा ने कोई परिचित आवाज चुनी है। मैंने आवाज की तरफ और ध्यान केन्द्रित किया। आवाज थोडी तेज हुई और सुनाई आया- अरे...बोलते क्यों नही? मैं फिर भी चुप रहा। अबकी बार बड़ी तेज स्वर में अंतरात्मा की आवाज आई-अरे कान फूट गये क्या?

उसके बाद बंद आँखों के सामने अचानक से उजाला हुआ और जोर का एक धक्का कंधे पर लगा और कडकडाती आवाज गूँजी - ये आँख बंद कर अंधेरे में बैठे-बैठे क्या कर रहे हो?

मैंने धीरे से आँखे खोल कर देखा, मेरी अंतरात्मा अपनी आवाज सुनाते हुए श्रीमतीजी का रूप धरे सामने खडी थी।

धन्य हो गया मैं, लोग केवल अंतरात्मा की आवाज सुनते हैं, मैंने प्रत्यक्ष दर्शन भी कर लिये!

-अन्तरात्मानन्द !
(विवेक भावसार)

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